Sunday 9 December 2012

कविता- कल सहर होते ही..

कल सहर होते ही पिताजी को बता देना,
ये ख़बर उनके कानों को पहुंचा देना,
मैं जा रहा हूं उन्हें छोड़कर ये फैसला उन्हें सुना देना,
जब-जब आए उन्हें मेरी याद, ये तस्वीर उन्हें दिखा देना,
हां ये ख़बर तू मां को भी सुना देना,
उसकी आंखों से बहते मोती की माला मेरी तस्वीर पे चढ़ा देना,
जब ना रुकें पिताजी के आंसू,
उनके ग़म को भुला देना,
इतनी मेहर तू मुझ पे कर देगा,
फिर मेरी याद में कोई ना रोएगा।


प्रदीप राघव...

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