Monday 17 December 2012

जय 'जनता परिवर्तन पार्टी'

                                          

आजकल पार्टियां बदलने-बनाने का दौर चल रहा है, कोई नई पार्टी बनाने की कवायद में जुटा है
तो कोई अपना दल बदलने में। हमारे मन में भी एक दिन विचार आया क्यों ना जेपीपी बना डालें,
जो जनता से, जनता के लिए, जनता के द्वारा और जनता की हो अर्थात् 'जनता परिवर्तन पार्टी'।
दरअसल राजनीति के दांव-पेंच में हर कोई खुद को साबित करने में लगा है जिसके लिए खुद को
नई-नई पार्टियों से जोड़ने के साथ-साथ निजी दल बनाने में लगा है और जिंदगी की भागमभाग
में हर कोई कुछ ना कुछ नया करने में लगा है तो फिर हम क्यूं पीछे रहें भला। शुरूआत एक नई
पार्टी बनाने से क्यों ना की जाए। वैसे भी गुजरात से कर्नाटक तक हर जगह पार्टी बदलने और
बनाने का मौसम चल रहा है। और चुनावी मौसम में इस तरह के फैसले हों तो फिर क्या कहने।

पिछले ही दिनों गुजरात के प्रभावशाली नेता
केशुभाई पटेल ने भी बीजेपी का दामन छोड़ अब
जीपीपी यानि 'गुजरात परिवर्तन पार्टी' बना ली।
गुजरात विधानसभा चुनावों में इसे बहुत बड़ा
परिवर्तन माना जा रहा है। वैसे भी पटेल फैक्टर
गुजरात में काफी मायने रखता है। खैर, ये तो
नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि गुजरात की
जनता मोदी का साथ देगी या फिर इस बार पटेल
फैक्टर ज्यादा कारगर साबित होगा। वहीं अगर बात कांग्रेस की करें तो उपमुख्यमंत्री रह चुके
नरहरि अमीन ने भी मुश्किल हालातों में पार्टी का साथ छोड़ दिया है।वैसे भी गुजरात में इस बार
जीपीपी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है।

बहरहाल,कर्नाटक में भी राजनीतिक नाटक ज़ोर-शोर से चल रहा है। लंबे वक़्त से
'भारतीय जनता पार्टी' के साथ चल रहे विवाद के बाद अब येदियुरप्पा ने भी नई पार्टी बना ही डाली।
किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनाने का श्रेय येदियुरप्पा को ही
जाता है लेकिन खदान घोटालों में नाम आने के बाद पार्टी से बढ़ी तल्ख़ी की वज़ह से येदियुरप्पा को
मज़बूरन नई पार्टी बनानी पड़ी।'कर्नाटक जनता पार्टी' के मुखिया बी.एस. येदियुरप्पा आगामी
विधानसभा चुनावों में इस बार बीजेपी को करारा झटका देने के मूड़ में हैं।

राजनीतिज्ञ तो राजनीतिज्ञ आजकल आम आदमी भी पार्टी बनाने की इस दौड़ में शामिल हो गया
है। भ्रष्टाचार और जन लोकपाल की लड़ाई लड़ने वाले केजरीवाल ने भी आम आदमी के लिए
 'आम आदमी पार्टी' बना दी। वो भी अब पार्टी वाले हो ही गए तो फिर हम क्यूं पीछे रहें मियां,
आइए आप और हम भी इस दंगल में कूद लेते हैं। आख़िर हैं तो हम भी आम आदमी ही ना।
तो भइया मिलकर बोलो जय 'जनता', जय 'जनता परिवर्तन पार्टी'। जो इस स्वप्न के साथ स्थापित
होनी चाहिए जो वाकई में जनता और देश के हित में काम करे।
साथ ही साथ नाम के जैसा काम भी करे।


प्रदीप राघव..

No comments:

Post a Comment